- नई सामाजिक व्यवस्था के लिए दृष्टि और मूल्य- मीडिया की भूमिका विषय पर चला सम्मेलन
- चार दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन एवं रिट्रीट का समापन
- मप्र की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी कैबिनेट मंत्री संपत्तिया उईके ने लिया भाग
शिव आमंत्रण, माउंट आबू, राजस्थान। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के ज्ञान सरोवर परिसर में मीडिया विंग द्वारा आयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन एवं रिट्रीट का समापन हो गया। नई सामाजिक व्यवस्था के लिए दृष्टि और मूल्य- मीडिया की भूमिका विषय पर चल रहे सम्मेलन में चार सत्र और पांच मेडिटेशन सत्र आयोजित किए गए। देशभर से आए मीडिया गुुरु, वरिष्ठ पत्रकार, प्रोफेसर, संपादकों ने विचार-विमर्श कर निष्कर्ष निकाला कि नई सामाजिक व्यवस्था के लिए सकारात्मक दृष्टि और नैतिक मूल्य जरूरी हैं। आध्यात्मिक ज्ञान और मेडिटेशन नई व्यवस्था के निर्माण में सबसे जरूरी हैं। इसमें मीडिया को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी, तभी समाज सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेगा।
समापन सत्र में मप्र की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी कैबिनेट मंत्री संपत्तिया उईके ने मीडियाकर्मियों से आहृान करते हुए कहा कि समाज में जो कुछ अच्छा कार्य हो रहा है, उन्हें प्राथमिकता से दिखाएंगे तो समाज में अच्छा माहौल बनेगा। जो लोग सामाजिक क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहे हैं उन्हें आगे बढ़ाएंगे तो निश्चित रूप से परिवर्तन आएगा।
ब्रह्माकुमारीज़ नारी सशक्तिकरण की मिसाल है-
मंत्री उईके ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान नारी सशक्तिकरण की मिसाल है। संस्थान में नारी शक्ति को आगे रखा जाता है। यहां की बहनों का पवित्र प्रेम देखकर हृदय भाव-विभोर हो जाता है। संस्थान की सामाजिक बदलाव में सेवाएं महत्वपूर्ण हैं। लोगों को योग से जुड़ना चाहिए। ब्रह्माकुमारीज़ 20 विभिन्न प्रभागों के माध्यम से सामाजिक सेवाएं कर रही है। साथ ही यौगिक खेती के माध्यम से किसानों के लिए कार्य किया जा रहा है। नशा मुक्ति के क्षेत्र में भी संस्था सराहनीय कार्य कर रही है। ब्रह्माकुमारीज़ जैसी सामाजिक संस्थाओं के कार्यों को आज हमें बढ़ावा देने की जरूरत है, इससे ही समाज में अच्छाई का संदेश जाएगा।
यहां से हमें सीखने की जरूरत है-
विदेश मंत्रालय में ओएसडी आईएफएस अधिकारी डॉ. सी. राजशेखर ने कहा कि यहां आकर बहुत खुशी हुई है। हमारे लिए बदलाव का एक मौका है। यहां जो ज्ञान दिया जा रहा है जो बातें बताईं जा रही हैं, यदि हम इन्हें जीवन में धारण करेंगे तो निश्चित रूप से बदलाव आएगा। ब्रह्माकुमार भाई-बहनें लोगों में बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हम सभी को यहां से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।
राष्ट्रीय संयोजक डॉ. बीके शांतनु भाई ने एजेंडा पेश करते हुए कहा कि चार दिन चले सम्मेलन में सभी वरिष्ठ पत्रकारों ने एक स्वर में कहा कि नई सामाजिक व्यवस्था के लिए सकारात्मक दृष्टि और नैतिक मूल्य जरूरी है। इसमें मीडिया को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इस दौरान महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के असिस्टेंट इंजीनियर डॉ. अमित कुमार विश्वास द्वारा लिखित भूमंडलीकरण मीडिया की आचार संहिता पुस्तक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।
इन्होंने भी व्यक्त किए विचार-
भागलपुर से आए इग्नू के सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ. कमलेश मीना ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ से राजयोग मेडिटेशन सीखकर मेरे अंदर बहुत बदलाव आए हैं। ऊं शांति कहने मात्र से सकारात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं। मैं हमेशा कहता हूं कि गुनाह करके कहा जाओगे गालिब, ये जमीं, आसमां उसी का है
- जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष हरि बल्लभ मेघवाल ने कहा कि आज पूरा मीडिया कार्पोरेट के पास चला गया है। सोशल मीडिया आने से पत्रकारिता के मूल्यों में सबसे ज्यादा गिरावट आई है। पत्रकारिता में मूल्यों को बनाए रखने के लिए ब्रह्माकुमारीज़ जैसी संस्थाओं की बहुत जरूरत है।
- पंडित दीनदयाल ऊर्जा विश्वविद्यालय में भाषा एवं साहित्य विभाग के प्रो. व वरिष्ठ पत्रकार डॉ. प्रदीप मलिक ने कहा कि मीडिया एक नहीं है उसके बहुत सारे एलीमेंट हैं। गुड मीडिया पर्सन को पहचानकर उनके साथ आगे बढ़े और काम करते रहें। सभी को मिलकर मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता के लिए कदम बढ़ाने होंगे।
- वरिष्ठ पत्रकार बीके अवतार भाई ने कहा कि पत्रकारिता का स्वर्णिम इतिहास रहा है। देश में जितनी भी क्रांतियां हुईं हैं, सामाजिक कुरुतियों को दूर करने में जो परिवर्तन हुआ है उसमें पत्रकारों की अहम भूमिका रही है। जैसे समाज में मानवीय मूल्यों की कमी आई है, उससे पत्रकारिता भी अछूती नहीं रही है।
- इंदौर से आए रेडियो सरगम 90.8 एफएम के निदेशक आशीष गुप्ता ने कहा कि सामाजिक व्यवस्थाओं के सकारात्मक परिवर्तन में मीडिया ने हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ब्रह्माकुमारीज़ के माध्यम से परमपिता परमात्मा ने जो संदेश मानवता के लिए दिया था यदि उसे मीडिया जन-जन तक पहुंचाए तो निश्चित रूप से समाज में परिवर्तन आएगा।
- इंदौर से आए साधना समाचार के न्यूज एडिटर पंकज दीक्षित ने कहा कि आज हमारे लेखन का समाचार पर प्रभाव देखने को नहीं मिल रहा है यह चिंतन का विषय है। मीडिया समाज को बदलते-बदलते कम स्वयं बदल गया हम समझ ही नहीं पाए। पहले मीडिया को पवित्र बनना होगा, तब समाज में बदलाव आएगा।
- ग्वालियर के आईटीएम विश्वविद्यालय में जेएंडएमसी में विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष जैसवाल ने कहा कि बिना नैतिक और मानवीय मूल्यों के हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं।
– हैदराबाद से आईं मीडिया विंग की राष्ट्रीय संयोजिका बीके सरला आनंद बहन, ग्वालियर से आए प्रेरक वक्ता बीके प्रहलाद, मोहाली से आए जोनल को-ऑर्डिनेटर बीके करमचंद ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सिद्धपुर से आईं सबजोन कोआर्डिनेटर बीके बीके विजया बहन ने राजयोग मेडिटेशन के माध्यम से सभी को शांति की गहन अनुभूति कराई। संचालन अजमेर सबजोन की जोनल कोर्डिनेटर बीके योगिनी बहन ने किया।
व्यावसायिक अनुशासन में आध्यात्मिक ज्ञान की आवश्यकता विषय पर टॉक शो आयोजित
सम्मेलन में समापन सत्र में व्यावसायिक अनुशासन में आध्यात्मिक ज्ञान की आवश्यकता विषय पर टॉक शो का आयोजन किया गया। इसमें मुंबई की लोक सामना न्यूज़ की ऑल इंडिया ब्यूरो चीफ डॉ. दीप्ति जोशी ने कहा कि जीवन का कोई भी क्षेत्र हो आध्यात्मिक ज्ञान की जरूरत होती है। रुड़की के डिवाइन मिरर चैनल के संपादक डॉ. श्रीगोपाल नरसन ने कहा कि आध्यात्मिकता के कारण मेरे प्रोफेशन में काफी बदलाव आए हैं। हम अपने मन पर शासन करें न कि मन हम पर शासन करे। देहरादून के दैनिक श्रीमत एक्सप्रेस के संपादक डॉ. दीनदयाल मित्तल ने कहा कि मूल्य हमारी व्यक्तिगत चेतना पर निर्भर करते हैं। हम किसी भी क्षेत्र में कार्य करें, मूल्यों का स्थान महत्वपूर्ण होता है। पीआरओ बीके कोमल ने सफलतापूर्वक टॉक शो का संचालन किया और सभी को बांधे रखा।
इन्होंने भी व्यक्त किए विचार-
मणिपाल यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजुकेशन के सहायक रजिस्ट्रार डॉ. अमित वर्मा, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रेस एंड मीडियामैन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन सहयोगी, देहरादून की वरिष्ठ पत्रकार शशि शर्मा, आगरा के लाइव स्टोरी टाइम्स के संपादक डॉ. भानु प्रताप सिंह, स्वर्णिम स्टार्टअप एंड इनोवेशन यूनिवर्सिटी गांधीनगर के जेएंडएमसी के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. शशिकांत भगत, ओम शांति मीडिया पत्रिका के संपादक डॉ. बीके गंगाधर, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय मोहाली के एसोसिएट प्रो. डॉ. विनोद सोनी, दिल्ली विश्वविद्यालय के जेएंडएमसी विभाग के डॉ. अतुल गौतम ने भी अपने विचार व्यक्त किए।