सभी आध्यात्मिक जगत की सबसे बेहतरीन ख़बरें
ब्रेकिंग
सिरोही के 38 गांवों में चलाई जाएगी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल परियोजना व्यर्थ संकल्पों से अपनी एनर्जी को बचाएंगे तो लाइट रहेंगे: राजयोगिनी जयंती दीदी राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी ने किया हर्बल डिपार्टमेंट का शुभारंभ  मप्र-छग से आए दस हजार लोगों ने समाज से नशे को दूर करने का लिया संकल्प चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का समापन वैश्विक शिखर सम्मेलन (सुबह का सत्र) 6 अक्टूबर 2024 श्विक शिखर सम्मेलन का दूसरा दिन-
दुआएं और आंतरिक खुशी होती है निस्वार्थ सेवा से - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
दुआएं और आंतरिक खुशी होती है निस्वार्थ सेवा से

दुआएं और आंतरिक खुशी होती है निस्वार्थ सेवा से

राज्य समाचार हरियाणा

नेत्र चिकित्सा शिविर में बीके वसुधा के विचार

शिव आमंत्रण, झोझूकलां-कादमा(हरियाणा)। निस्वार्थ सेवा से ही दुआएं मिलती हैं जिससे हमें आंतरिक खुशी प्राप्त होती है जो हमारे जीवन में आने वाली विभिन्न व्यक्तिगत व सामाजिक समस्याओं के समाधान में भी मदद करती हैं। उक्त उद्गार ब्रह्माकुमारीज की झोझूकलां शाखा के तत्वावधान में सेठ किशनलाल वाले मंदिर में गीतांजलि हॉस्पिटल चरखी दादरी द्वारा आयोजित निशुल्क नेत्र चिकित्सा जांच शिविर के उद्घाटन अवसर पर क्षेत्रीय प्रभारी बीके वसुधा ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा, की आंखें प्रभु का अनमोल उपहार है। जिस तरह से हम अपनी आंखों के देखभाल करते हैं ठीक इसी प्रकार सूक्ष्मता से अपने विचारों की संकल्पों की जांच करनी चाहिए क्योंकि व्यक्ति के सकारात्मक विचार ही उसे महान बनाते है।
इस अवसर पर डॉ. ओम प्रकाश ने लोगों की आंखों की जांच करते हुए कहा, आंखो को धूल-मिट्टी से बचाने तथा उनकी संभाल करने के साथ साथ हरी सब्जी, दूध एवं प्रोटीन की मात्रा अधिक लेनी चाहिए।
उन्होंने काला मोतिया, सफेद मोतिया, पढ़ बाल आदि विभिन्न आंखों की बीमारियों के बारे में लोगों को जागरूक भी किया और कहा की हमें हर 6 महीने मे एक बार आंखों की जांच अवश्य करवानी चाहिए तथा आवश्यकता होने पर चश्मा का प्रयोग करना चाहिए।

आंखों की जांच करते हुए डॉ. ओम प्रकाश।

उन्होंने 125 लोगों की आंखों की निशुल्क जांच की तथा मुह्लत दवाई भी दी।
इस अवसर पर डॉ. ओम प्रकाश हवा सिंह, दीपक शर्मा, नरेंद्र सविता आदि की टीम का विशेष सहयोग रहा। इस मौके पर बीके नीलम ने कहा, की हमें अपनी आंखों की जितनी सूक्ष्मता से देखभाल करनी चाहिए उससे अधिक स्वयं की व्यर्थ और नकारात्मक बातों से संभाल करनी भी आवश्यक है तभी हम समाज को दिव्य दृष्टि से देख सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *