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त्याग,तपस्या,पवित्रता की दिव्य मूर्ति थी अचल दीदी जी - Shiv Amantran | Brahma Kumaris
त्याग,तपस्या,पवित्रता की दिव्य मूर्ति थी अचल दीदी जी

त्याग,तपस्या,पवित्रता की दिव्य मूर्ति थी अचल दीदी जी

राज्य समाचार हरियाणा

कादमा,(हरियाणा):– त्याग, तपस्या,, पवित्रता की दिव्य मूर्ति थी अचल दीदी जी जिन्होंने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू एवं कश्मीर, चंडीगढ़ में ईश्वरीय  सेवाओं से मानवता को मानवीय मूल्यों का पाठ पढ़ाया यह उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की रामबास शाखा में उत्तरी क्षेत्र की निदेशक रही अचल दीदी जी के छठे स्मृति दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में क्षेत्र की प्रभारी ब्रह्माकुमारी वसुधा बहन ने व्यक्त किए। अचल दीदी जी के स्मृति दिवस पर पवित्रता एवं औषधीय गुणों से संपन्न तुलसी का पौधा सेवाकेंद्र पर लगाया गया एवं सभी को तुलसी के पौधे वितरित किए गए । ब्रह्माकुमारी वसुधा बहन ने कहा की अचल दीदी ईश्वरीय नियम मर्यादाओं में सदा अचल रहे उनका जन्म पंजाब के श्री हरगोविंदपुर में हुआ उसके बाद पंजाब सरकार में टीचर के रूप में अपनी सेवाएं दी तथा 23 वर्ष की अल्पायु में ही ब्रह्माकुमारी संस्था में अपने आपको समर्पित कर दिया। बहन वसुधा ने कहा की सत्यता की प्रतिमूर्ति अचल दीदी में नैतिक आध्यात्मिक व मानवीय मूल्य कूट-कूट कर भरे हुए थे उन्होंने कहा कि 85 वर्ष तक ब्रह्माकुमारीज़ के उत्तरी क्षेत्र के निदेशक के रूप में अनेक ब्रह्माकुमारी बहने भाईयों को ईश्वरीय ज्ञान व राजयोग के बल से सात्विक आहार व्यवहार करना सिखाया। उन्होंने कहा कि हम सभी उनके दिखाए हुए रास्ते पर चलते हुए समाज में नैतिक आध्यात्मिक व मानवीय मूल्यों को स्थापित करने का दृढ़ संकल्प लें यही उनके लिए सच्ची सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस मौके पर झोझूकलां खंड के विभिन्न गांवों से सैकड़ों भाई बहनों ने दीदी जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर जीवन को दिव्य गुण संपन्न बनाने का संकल्प लिया।

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